लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर पीएम का जवाब

लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर पीएम का जवाब

माननीय अध्‍यक्ष जी,

मैं राष्‍ट्रपति जी के अभिभाषण पर धन्‍यवाद देने के लिए खड़ा हूं। संसद के इस नए भवन में जब आदरणीय राष्ट्रपति जी हम सबको संबोधित करने के लिए आईं, और जिस गौरव और सम्मान के साथ सेंगोल पूरे procession का नेतृत्व कर रहा था, और हम सब उसके पीछे पीछे चल रहे थे। नए सदन में ये नई परंपरा भारत की आजादी के उस पवित्र पल का प्रतिबिंब, जब साक्षी बनता है तो लोकतंत्र की गरिमा कई गुना ऊपर चली जाती है। ये 75वां गणतंत्र दिवस, इसके बाद संसद का नया भवन, सेंगोल की अगुआई, ये सारा दृश्य अपने आप में बहुत ही प्रभावी था। मैं जब वहां से पूरे कार्यक्रम में भागीदारी कर रहा था। यहां से तो उतना हमें भव्यता नजर नहीं आती है। लेकिन वहां से जब मैंने देखा कि वाकई नए सदन में इस गरिमामयी उपस्थिति में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति द्वारा, हम सबके मन को प्रभावित करने वाला वो दृश्य हमेशा-हमेशा याद रहेगा। जिन माननीय करीब 60 से ज्यादा माननीय सदस्यों ने राष्ट्रपति जी के आभार प्रस्ताव पर अपने अपने विचार रखे हैं। मैं विनम्रता के साथ अपने-अपने विचार व्यक्त करने वाल सभी अपने माननीय सांसद गण का आभार व्यक्त करता हूं। मैं विशेष रूप से विपक्ष ने जो संकल्प लिया है उसकी सराहना करता हूं। उनके भाषण की एक एक बात से मेरा और देश का विश्वास पक्का हो गया है, कि इन्होंने लंबे अर्से तक वहां रहने का संकल्प ले लिया है। आप कई दशक तक जैसे यहां बैठे थे, वैसे ही कई दशक तक वहां बैठने का आपका संकल्प और जनता जनार्दन तो ईश्वर का रूप होती है। और आप लोग जिस प्रकार से इन दिनों मेहनत कर रहे हैं। मैं पक्का मानता हूं कि ईश्वर रूपी जनता जनार्दन आपको जरूर आशीर्वाद देगी। और आप जिस ऊंचाई पर हैं उससे भी अधिक ऊंचाई पर जरूर पहुंचेंगे और अगले चुनाव में दर्शक दिशा में दिखेंगे। अधीर रंजन जी इस बार आपने आपका कॉन्ट्रैक्ट उनको दे दिया है क्या? आपने इन्हीं चीजों को पहुंचाया है।

आदरणीय अध्यक्ष जी महोदय,

मैं देख रहा हूँ कि आप में से बहुत लोग चुनाव लड़ने का हौसला भी खो चुके हैं। और मैंने सुना है बहुत लोग पिछली बार भी सीट बदली, इस बार भी सीट बदलने की फिराक में हैं। और मैंने सुना है, बहुत से लोग अब लोकसभा की बजाय राज्यसभा में जाना चाहते हैं तो स्थितियों का आकलन करके वो अपना-अपना रास्ता ढूंढ रहे हैं।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

राष्ट्रपति जी का भाषण एक प्रकार से तथ्यों के आधार पर, हकीकतों के आधार पर एक बहुत बाद दस्तावेज़ है, जो देश के सामने राष्ट्रपति जी ने रखा है। और इस पूरे दस्तावेज़ को आप देखेंगे तो उन हकीकतों को समेटने का प्रयास किया है, जिससे देश किस स्पीड से प्रगति कर रहा है, किस स्केल के साथ गतिविधियों का विस्तार हो रहा है, उसका लेखा-जोखा राष्ट्रपति जी ने प्रस्तुत किया है। आदरणीय राष्ट्रपति जी ने भारत के उज्ज्वल भविष्य को ध्यान में रखते हुए चार मजबूत स्तंभों पर हम सबका ध्यान केंद्रित किया है, और उनका सही-सही आकलन है कि देश के चार स्तम्भ जितने ज्यादा मजबूत होंगे, जितने ज्यादा विकसित होंगे, जितने ज्यादा समृद्ध होंगे, हमारा देश उतना ही समृद्ध होगा, उतना ही तेजी से समृद्ध होगा। और उन्होंने इन 4 स्तंभों का उल्लेख करते हुए देश की नारी शक्ति, देश की युवा शक्ति, देश के हमारे गरीब भाई-बहन, और देश के हमारे किसान, हमारे मछुआरे, हमारे पशुपालक उनकी चर्चा की है। इनके सशक्तिकरण के माध्यम से राष्ट्र के विकसित भारत के लक्ष्य को प्राप्त करने के जो राह हैं उसका स्पष्ट दिशानिर्देश आदरणीय राष्ट्रपति जी ने कहा है अच्छा होता, हो सकता है आपके यहां fisherman minority के न हों, हो सकता है आपके यहां पशुपालक minority के न हों, हो सकता है किसान आपके यहां minority के न हों, हो सकता है महिलाएं आपके यहां minority में न हों, हो सकता है कि आपके यहां युवा में minority. क्या हो गया है दादा? ये क्या इस देश के युवा की बात होती है। समाज के सब वर्ग नहीं होते हैं। क्या देश की नारी की बात होती है। देश की सभी नारी नहीं होती हैं। कब तक टुकड़ों में सोचते रहोगे, कब तक समाज को बांटते रहोगे। शब्द सीमा करो सीमा करो, बहुत तोड़ा देश को।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

अच्छा होता कि जाते-जाते तो कम से कम इस चर्चा के दरमियान कुछ सकारात्मक बातें होती। कुछ सकारात्मक सुझाव आते, लेकिन हर बार की तरह आप सब साथियों ने देश को बहुत निराश किया है। क्योंकि आपकी सोच की मर्यादा देश समझता रहा है। उसको बार बार दर्द होता है कि ये दशा है इनकी। इनकी सोचने की मर्यादा इतनी है।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

नेता तो बदल गए, लेकिन टैप रिकॉर्डर वही बज रही है। वही बातें, कोई नयी बात आती नहीं। और पुरानी ढपली और पुराना राग, वही चलता रहता है आपका। चुनाव का वर्ष था थोड़ी मेहनत करते, कुछ नया निकालकर के लाते जनता को जरा संदेश दे पाते, उसमें भी फैल गए आप। चलिए ये भी मैं सिखाता हूं।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

आज विपक्ष की जो हालत हुई है ना, इसकी सबसे दोषी कांग्रेस पार्टी है। कांग्रेस को एक अच्छा विपक्ष बनने का बहुत बड़ा अवसर मिला और 10 साल कम नहीं होते हैं। लेकिन 10 साल में उस दायित्व को निभाने में भी वे पूरी तरह विफल रहे। और जब खुद विफल हो गए तो विपक्ष में और भी होनहार लोग हैं, उनको भी उभरने नहीं दिया, क्योंकि फिर मामला और गड़बड़ हो जाए, इसलिए हर बार यही करते रहे कि और भी विपक्ष के जो तेजस्वी लोग हैं उनको दबा दिया जाए। हाउस में कई यंग हमारे माननीय सांसद गण हैं। उत्साह भी उमंग भी है। लेकिन अगर वो बोलें, उनकी छवि उभर जाए तो शायद किसी की छवि बहुत दब जाए। उस चिंता में इस young generation को मौका न मिले, हाउस को चलने नहीं दिए गए। यानि एक प्रकार से इतना बड़ा नुकसान कर दिया है। खुद का भी, विपक्ष का भी, संसद का भी और देश का भी। और इसलिए और मैं हमेशा चाहता हूं कि देश को एक स्वस्थ अच्छे विपक्ष की बहुत जरूरत है। देश ने जितना परिवारवाद का खामियाजा उठाया है। और उसका खामियाजा खुद कांग्रेस ने भी उठाया है। अब अधीर बाबू ने भी उठाया है। अब अधीर बाबू की हालत हम देख रहे हैं। वर्ना ये समय था संसद में रहने का। लेकिन परिवारवाद की सेवा तो करनी ही पड़ती है।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

अब हालत देखिए हमारे खड़गे जी इस सदन से उस सदन शिफ्ट हो गए, और गुलाम नबी जी तो पार्टी से ही शिफ्ट कर गए। ये सब परिवारवाद की भेंट चढ़ गए। एक ही प्रोडक्ट बार बार लॉन्च करने के चक्कर में कांग्रेस की दुकान पर ताला लगने की नौबत आ गई है। और ये दुकान हम नहीं कह रहे आप लोग कह रहे हैं। आप लोग कहते हैं दुकान खोली है, सब जगह पर बोलते हैं। दुकान पर ताला लगने की बात आ गई है। यहां हमारे दादा अपनी आदत छोड़ नहीं पाते हैं वो वहां से बैठे-बैठे कमेंट कर रहे हैं परिवारवाद की, मैं जरा समझा देता हूं आज। माफ करना अध्यक्ष महोदय, मैं जरा समय ले रहा हूं आज। हम किस परिवार वाद की चर्चा करते हैं। अगर किसी परिवार में अपने बलबुते पर जनसमर्थन से एक से अधिक अनेक लोग अगर राजनीतिक क्षेत्र में भी प्रगति करते हैं। उसको हमने कभी परिवारवाद नहीं कहा है। हम परिवारवाद की चर्चा वो करते हैं जो पार्टी परिवार चलाता है, जो पार्टी परिवार के लोगों को प्राथमिकता देती है। जो पार्टी के सारे निर्णय परिवार के लोग ही करते हैं। वो परिवारवाद है। ना राजनाथ जी की कोई political party है, ना अमित शाह की कोई political party है। और इसलिए जहां एक परिवार की दो पार्टियां लिखी जाती है, वो लोकतंत्र में उचित नहीं है। लोकतंत्र में पार्टी पद, अनेक एक परिवार के दस लोग राजनीति में आए कुछ बुरा नहीं है। हम तो चाहते हैं, नौजवान लोग आएं। हम भी चाहते हैं, इसकी चर्चा करिए, हमारे साथ आपके साथ मेरा विषय नहीं है। देश के लोकतंत्र के लिए परिवारवादी राजनीति, परिवारिक पार्टियों की राजनीति, ये हम सबकी चिंता का विषय होना चाहिए। और इसलिए मैं किसी परिवार के 2 लोग अगर प्रगति करते हैं, उसका तो मैं स्वागत करूंगा, 10 लोग प्रगति करें, मैं स्वागत करूंगा। देश में जितनी नई पीढ़ी, अच्छे लोग आए, स्वागत योग्य है। सवाल ये है कि परिवार ही पार्टियां चलाती हैं। पक्का है, ये अध्यक्ष नहीं होगा तो उसका बेटा होगा, ये नहीं है होगा तो उसका बेटा होगा। ये लोकतंत्र का खतरा है। और इसलिए अच्छा हुआ दादा Thank You ये विषय कभी बोलता नहीं था, आज बोल भी दिया मैंने।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

एक ही प्रोडक्ट को बार-बार launch करने का भरपूर प्रयास हो रहा है।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

कांग्रेस एक परिवार में उलझ गई है, देश के करोड़ों परिवारों की आकांक्षाएं और उपलब्धियां वो देख पा ही नहीं रहे हैं, देख सकते नहीं, अपने परिवार के बाहर देखने की तैयारी नहीं है। और कांग्रेस में एक कैंसिल कल्चर डेवलप हुआ है, कुछ भी है– कैंसिल, कुछ भी है – कैंसिल। एक ऐसे कैंसिल कल्चर में कांग्रेस फंस गई है। अगर हम कहते हैं कि मेक इन इंडिया तो कांग्रेस कहती है कैंसिल, हम कहते हैं– आत्मनिर्भर भारत कांग्रेस कहती है कैंसिल, हम कहते हैं वोकल फॉर लोकल, कांग्रेस कहती है कैंसिल, हम कहते हैं– वंदे भारत ट्रेन, कांग्रेस कहती है कैंसिल, हम कहते हैं संसद की नई इमारत कांग्रेस कहती है कैंसिल। यानि मैं हैरान हूँ, ये कोई मोदी की उपलब्धियां नहीं हैं, ये देश की उपलब्धियां हैं। इतनी नफरत, कब तक पाले रखोगे, और उसके कारण देश की सफलताएं, देश के achievement उसको भी कैंसिल करके आप बैठ गए हो।

आदरणीय अध्यक्ष जी।

राष्ट्रपति जी ने विकसित भारत के रोडमैप पर चर्चा करते हुए आर्थिक पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की। अर्थव्यवस्था के मूलभूत जो आधार हैं, उस पर बारीकी से चर्चा की। और भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था को आज पूरी दुनिया सराह रही है, पूरी दुनिया उससे प्रभावित है, और जब विश्व संकट से गुजर रहा है, तब तो उनको और ज्यादा अच्छा लगता है। जी-20 समिट के अंदर सारे देश ने देखा है कि पूरा विश्व भारत के लिए क्या सोचता है, क्या कहता है, क्या करता है। और इन सारे 10 साल के कार्यकाल के अनुभव के आधार पर आज की मजबूत अर्थव्यवस्था को देखते हुए जिस तेज गति से भारत विकास कर रहा है, उसकी बारीकियों को जानते हुए मैं विश्वास से कहता हूं, और इसीलिए मैंने कहा है कि हमारे तीसरे टर्म में भारत दुनिया की तीसरी बड़ी आर्थिक ताकत बनेगा, और ये मोदी की गारंटी है।

माननीय अध्यक्ष जी,

इनको पहले मौका नहीं दिया था क्या? सबको मौका दिया है ना…हा।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

जब हम दुनिया की तीसरी बड़ी आर्थिक शक्ति बनकर के उभरेंगे, कहते हैं, तो हमारे विपक्ष में बैठे कुछ साथी कैसा कुतर्क देते हैं, कैसा कुतर्क देते हैं, वो कहते हैं – इसमें क्या है ये तो अपने आप हो जाएगा। क्या कमाल है आप लोगों का, मोदी का क्या है, ये तो अपने आप हो जाएगी। मैं जरा सरकार की भूमिका क्या होती है, इस सदन के माध्यम से देश को और विशेषकर के देश के युवा मन को बताना चाहता हूं, देश की युवा शक्तियों को बताना चाहता हूं कि होता कैसे है, और सरकार की भूमिका क्या होती है।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

10 साल पहले 2014 में फरवरी महीने में जो Interim Budget आया था, उस समय कौन लोग बैठे थे, आपको तो मालूम ही है, देश को भी मालूम है। जो 10 साल पहले Interim Budget आया था, उसे पेश करते समय उस समय के वित्त मंत्री ने जो कहा था, मैं उसको कोट कर रहा हूं, और एक-एक शब्द बड़ा मूल्यवान है जी। जब आप लोग कहते हैं ना कि ये तो अपने आप तीसरे नंबर पर चला ही जाएगा, ऐसा कहते हैं उनको जरा समझना चाहिए। ये उन्होंने क्या कहा था – I now wish to look forward and outline a vision for the future, vision for the future. पूरे ब्रह्मांड के सबसे बड़े अर्थशास्त्री बोल रहे थे – I now wish to look forward and outline a vision for the future. आगे कहते हैं– I wonder how many have noted the fact that India’s economy in terms of size of its GDP is the 11th largest in the world. यानि 2014 में 11 नंबर पहुंचने पर क्या गौरवगान होता था। आज 5 पर पहुंच गए और आपको क्या हो रहा है।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

मैं आगे पढ़ रहा हूं, गोगोई जी Thank You आपने अच्छा कहा। मैं आगे पढ़ रहा हूं ध्यान से सुनिए, साथियों ध्यान से सुनिए। उन्होंने कहा था– it is 11th largest in the world, बड़ी गौरव की बात थी। There are great things in the stone फिर आगे कहते हैं – there is a well argued view that in the next three decades, India’s nominal GDP will take the country to the 3rd rank after the US and China. उस समय ये ब्रह्मांड के बड़े अर्थशास्त्री कह रहे थे कि तीसरे नंबर पर तीस साल में हम पहुंच जाएंगे, 30 साल और फिर कहा था ये मेरा vision जो मैं. बहुत लोग हैं जो ये ख्यालों में रहते हैं, वो ब्रह्मांड के सबसे बड़े अर्थशास्त्री है। ये लोग 2014 में कह रहे हैं और vision क्या देखते हैं कि अरे 2044 यानि 2044 तक तीसरी अर्थव्यवस्था की बात ये इनकी सोच, ये इनकी मर्यादा। सपना ही देखने का सामर्थ्य खो चुके थे ये लोग, संकल्प तो दूर की बात थी। तीस साल का इंतजार करने के लिए मेरे देश की युवा पीढ़ी को ये कहकर गए थे। लेकिन हम आज आपके सामने विश्वास से खड़े हैं, इस पवित्र सदन में खड़े हैं। और मैं आपको विश्वास दिलाता हूं कि 30 साल हम नहीं लगने देंगे– ये मोदी की गारंटी है, मेरे तीसरे कार्यकाल में देश दुनिया तीसरी आर्थिक शक्ति बन जाएगा। कैसे लक्ष्य रखते थे, इनकी सोच कहा तक जाती थी, दया आती है। और आप लोग 11 नंबर पर बड़ा गर्व कर रहे थे, हम 5 नंबर पर पहुंचा दिए जी। लेकिन अगर 11 पर पहुंचने से आपको खुशी होती थी, तो 5 नंबर पहुंचने पर भी खुशी होनी चाहिए, देश 5 नंबर पर पहुंचा है, आपको खुशी होनी चाहिए, किस बीमारी में फंसे पड़े हो आप।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

भाजपा सरकार की काम करने की स्पीड, हमारे लक्ष्य कितने बड़े होते हैं, हमारा हौसला कितना बड़ा होता है, वो आज पूरी दुनिया देख रही है।

और आदरणीय अध्यक्ष जी,

एक कहावत, हमारे उत्तर प्रदेश में खास ये कहावत कही जाती है – नौ दिन चले अढ़ाई कोस, और मुझे लगता है कि ये कहावत पूरी तरह कांग्रेस को परिभाषित कर देती है। ये कांग्रेस की सुस्त रफ्तार का कोई मुकाबला नहीं है। आज देश में जिस रफ्तार से काम हो रहा है, कांग्रेस सरकार इस रफ्तार की कल्पना भी नहीं कर सकती है।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

शहरी गरीबों के लिए, हमने गरीबों के लिए 4 करोड़ घर बनाए। और शहरी गरीबों के लिए 80 लाख पक्के मकान बने। अगर कांग्रेस की रफ्तार से ये घर बने होते तो क्या हुआ होता मैं इसका हिसाब लगाता हूं, अगर कांग्रेस की जो रफ्तार थी, उस प्रकार चला होता तो 100 साल लगते इतना काम करने में, 100 साल लगते। पांच पीढ़ियां गुजर जातीं।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

10 वर्ष में 40 हजार किलोमीटर रेलवे ट्रैक का electrification हुआ। अगर कांग्रेस की रफ्तार से देश चलता, इस काम को करने में 80 साल लग जाते, एक प्रकार से 4 पीढ़ियां गुजर जातीं।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

हमने 17 करोड़ अधिक गैस कनेक्शन दिए, ये मैं 10 साल का हिसाब दे रहा हूं। अगर कांग्रेस की चाल से चलते तो ये कनेक्शन देने में और 60 साल लग जाते, 3 पीढ़ियां धुएं में खाना पकाते-पकाते गुजर जाती।

आदरणीय अध्‍यक्ष जी,

हमारी सरकार में सेनिटेशन कवरेज 40 परसेंट से 100 पर्सेंट तक पहुंची है। अगर कांग्रेस की रफ्तार होती तो ये काम होते-होते 60-70 साल और लगते और कम से कम तीन पीढ़ियां गुजर जातीं, लेकिन गारंटी नहीं होता कि नहीं होता।

आदरणीय अध्‍यक्ष जी,

कांग्रेस की जो मानसिकता है, जिसका देश को बहुत नुकसान हुआ है। कांग्रेस ने देश के सामर्थ्‍य पर कभी भी विश्‍वास नहीं किया है, वे अपने-आपको शासक मानते रहे और जनता-जनार्दन को हमेशा कमतर आंकते गए, छोटा आंकते गए।

आदरणीय अध्‍यक्ष जी,

देश के नागरिकों के लिए कैसा सोचते थे, मैं जानता हूं, मैं नाम बोलूंगा तो उनको जरा चुभन होगी। लेकिन 15 अगस्‍त, लाल किले से प्रधानमंत्री नेहरू ने जो कहा था, वो मैं जरा पढ़ता हूं- लाल किले से भारत के प्रथम प्रधानमंत्री ने जो कहा था, वो पढ़ रहा हूं नेहरू जी ने, उन्‍होंने कहा था, ”हिन्‍दुस्‍तान में काफी मेहनत करने की आदत आमतौर से नहीं है। हम इतना काम नहीं करते थे, जितना कि यूरोप वाले या जापान वाले, या चीन वाले, या रूस वाले, या अमेरिका वाले करते हैं।” ये नेहरू जी लाल किले से बोल रहे हैं। ”ये न समझिए कि वो कौमें कोई जादू से खुशहाल हो गईं, वो मेहनत से हुई हैं और अक्‍ल से हुई हैं।” ये उनको सर्टिफिकेट दे रहे हैं, भारत के लोगों को नीचा दिखा रहे हैं। यानी नेहरू जी की भारतीयों के प्रति सोच थी कि भारतीय आलसी हैं। नेहरू जी की भारतीयों के लिए सोच थी कि भारतीय कम अक्ल के लोग होते हैं।

आदरणीय अध्‍यक्ष जी,

इंदिरा जी की सोच भी उससे ज्‍यादा अलग नहीं थी। इंदिरा जी ने जो लाल किले से 15 अगस्‍त को कहा था- लाल किले से 15 अगस्‍त को इंदिरा जी ने कहा था- ”दुर्भाग्‍यवश हमारी आदत ये है कि जब कोई शुभ काम पूरा होने को होता है तो हम आत्‍मतुष्टि की भावना से ग्रस्त हो जाते हैं और जब कोई कठिनाई आ जाती है तो हम नाउम्‍मीद हो जाते हैं। कभी-कभी तो ऐसा लगने लगता है कि पूरे राष्ट्र ने ही पराजय भावना को अपना लिया है।” आज कांग्रेस के लोगों को देख करके लगता है कि इंदिरा जी भले देश के लोगों का आकलन सही न कर पाईं, लेकिन कांग्रेस का एकदम सटीक आकलन उन्‍होंने किया था। कांग्रेस के शाही परिवार के लोग मेरे देश के लोगों को ऐसा ही समझते थे, क्‍योंकि वे सब ऐसे ही थे। और आज भी वही सोच देखने को मिलती है।

माननीय अध्‍यक्ष जी,

कांग्रेस का विश्वास हमेशा सिर्फ एक परिवार पर रहा है। एक परिवार के आगे वो न कुछ सोच सकते हैं, न कुछ देख सकते हैं। कुछ दिन पहले भानुमति का कुनबा जोड़ा, लेकिन फिर ‘एकला चलो रे’ करने लग गए। कांग्रेस के लोगों ने नया-नया मोटर-मैकनिक का काम सीखा है और इसलिए alignment क्‍या होता है उसका ध्‍यान तो हो गया होगा। लेकिन मैं देख रहा हूं Alliance का ही alignment बिगड़ गया। इनको अपने इस कुनबे में अगर एक-दूसरे पर विश्वास नहीं है, तो ये लोग देश पर विश्वास कैसे करेंगे।

आदरणीय अध्‍यक्ष जी,

हमें देश के सामर्थ्‍य पर भरोसा है, हमें लोगों की शक्ति पर भरोसा है।

आदरणीय अध्‍यक्ष जी,

देश की जनता ने हमें जब पहली बार सेवा करने का अवसर दिया तो हमने पहले कार्यकाल में यूपीए के समय के जो गड्ढे थे, वो गड्ढे भरने में हमारा काफी समय और शक्ति लगी। हम पहले कार्यकाल में वो गड्ढे भरते रहे। हमने दूसरे कार्यकाल में नए भारत की नींव रखी और तीसरे कार्यकाल में हम विकसित भारत के निर्माण को नई गति देंगे।

आदरणीय अध्‍यक्ष जी,

पहले कार्यकाल में हमने स्‍वच्‍छ भारत, उज्‍ज्‍वला, आयुष्‍मान भारत, बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ…उसी प्रकार से सुगम्‍य भारत, डिजिटल इंडिया…ऐसे कितने ही जनहित के कामों को अभियान का स्‍वरूप दे करके आगे बढ़ाया। टैक्‍स व्‍यवस्‍था आसान हो, इसके लिए जीएसटी जैसे निर्णय लिए। और हमारे इन कामों को देख करके जनता ने भरपूर समर्थन दिया। जनता ने बहुत आशीर्वाद दिए। पहले से भी ज्‍यादा आशीर्वाद दिए। और हमारा दूसरा कार्यकाल प्रारंभ हुआ। दूसरा कार्यकाल संकल्‍पों और वचनों की पूर्ति का कार्यकाल रहा। जिन उपलब्धियों का देश लम्‍बे समय से इंतजार कर रहा था वो सारे काम हमने दूसरे कार्यकाल में पूरे होते देखे हैं। हम सबने 370 खत्‍म होते हुए देखा है, इन्‍हीं माननीय सांसदों की आंखों के सामने और उनके वोट की ताकत से 370 गया। नारी शक्ति वंदन अधिनियम, ये दूसरे कार्यकाल में कानून बना।

आदरणीय अध्‍यक्ष जी,

अंतरिक्ष से ले करके ओलंपिक तक, सशक्त बलों से संसद तक नारी शक्ति के सामर्थ्‍य की गूंज उठ रही है। ये नारी शक्ति के सशक्तिकरण को आज देश ने देखा है।

आदरणीय अध्‍यक्ष जी,

उत्‍तर से दक्षिण तक, पूर्व से पश्चिम तक लोगों ने दशकों से अटकी, भटकी, लटकी योजनाओं को समयबद्ध तरीके से पूरे होते हुए देखा है।

आदरणीय अध्‍यक्ष जी,

अंग्रेजी शासन के पुराने कानून जो दंड प्रधान थे, उन दंड प्रधान कानूनों से हट करके हमने न्‍याय संहिता तक प्रगति की है। हमारी सरकार ने सैकड़ों ऐसे कानूनों को समाप्त किया, जो अप्रासंगिक हो गए थे। सरकार ने 40 हजार से ज्‍यादा compliances खत्‍म कर दिए।

आदरणीय अध्‍यक्ष जी,

भारत ने अमृत भारत और नमो भारत ट्रेनों से भविष्‍य की उन्‍नति के सपने देखे हैं।

आदरणीय अध्‍यक्ष जी,

देश के गांव-गांव ने, देश के कोटि-कोटि जनों ने विकसित भारत की संकल्‍प यात्रा देखी है और saturation के पीछे कितनी मेहनत की जाती है, उसके हक की चीज उसको मिले, उसके दरवाजे पर दस्‍तक देकर करके देने का प्रयास देश पहली बार देख रहा है।

आदरणीय अध्‍यक्ष जी,

भगवान राम न सिर्फ अपने घर लौटे, बल्कि एक ऐसे मंदिर का निर्माण हुआ, जो भारत की महान सांस्‍कृतिक परंपरा को नई ऊर्जा देता रहेगा।

और आदरणीय अध्यक्ष जी,

अब हमारी सरकार का तीसरा कार्यकाल भी बहुत दूर नहीं है। ज्यादा से ज्यादा सौ-सवा सौ दिन बाकी हैं। और अबकी बार मोदी सरकार, पूरा देश कह रहा है अबकी बार मोदी सरकार, खड़गे जी भी कह रहे हैं अबकी बार मोदी सरकार। लेकिन अध्यक्ष जी, मैं आम तौर पर ये आंकड़े-वाकड़े के चक्कर में नहीं पड़ता हूँ। लेकिन मैं देख रहा हूँ, देश का मिजाज, एनडीए को 400 पार करवाकर ही रहेगा। लेकिन भारतीय जनता पार्टी को 370 सीट अवश्य देगा। बीजेपी को 370 सीट और एनडीए को 400 पार।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

हमारा तीसरा कार्यकाल बहुत बड़े फैसलों का होगा। मैंने लाल किले से कहा था और राम मंदिर प्राण-प्रतिष्ठा के समय भी मैंने उसको दोहराया था। मैंने कहा था- देश को अगले हजार वर्षों तक समृद्ध और सिद्धि के शिखर पर देखना चाहता हूँ। तीसरा कार्यकाल अगले एक हजार वर्षों के लिए एक मजबूत नींव रखने का कार्यकाल बनेगा।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

मैं भारतवासियों के लिए, उनके भविष्य के लिए बहुत ही विश्वास से भरा हुआ हूँ। मेरा देश के 140 करोड़ नागरिकों के सामर्थ्य पर अपार भरोसा है, मेरा बहुत विश्वास है। 10 वर्षों में 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर आए हैं, ये सामर्थ्य दिखाता है।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

मैंने हमेशा कहा है कि गरीब को अगर साधन मिले, गरीब को अगर संसाधन मिले, गरीब को अगर स्वाभिमान मिले तो हमारा गरीब गरीबी को परास्त करने का सामर्थ्य रखता है। और हमने वो रास्ता चुना और मेरे गरीब भाइयों ने गरीबी को परास्त करके दिखाया है। और इसी सोच के साथ हमने गरीब को साधन दिये, संसाधन दिये, सम्मान दिया, स्वाभिमान दिया। 50 करोड़ गरीबों के पास आज बैंक खाता है। कभी वो बैंक से गुजर भी नहीं पाते थे। 4 करोड़ गरीबों के पास पक्का घर है और वो घर उसके स्वाभिमान को एक नया सामर्थ्य देता है। 11 करोड़ से अधिक परिवारों को पीने का शुद्ध जल पानी नल से मिल रहा है। 55 करोड़ से अधिक गरीबों को आयुष्मान भारत कार्ड मिला है। घर में कोई भी बीमारी आ जाए, उस बीमारी के कारण फिर से गरीबी की तरफ लुढ़क न जाए, उसको भरोसा है कितनी भी बीमारी क्यों न आ जाए, मोदी बैठा है। 80 करोड़ लोगों को मुफ्त अनाज की सुविधा दी गई है।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

मोदी ने उनको पूछा जिनको पहले कोई पूछता तक नहीं था। देश में पहली बार रेहड़ी-पटरी वाले साथियों के बारे में सोचा गया। पीएम स्वनिधि योजना से आज वो ब्याज के चक्कर से बाहर निकले, बैंक से पैसे लेकर के अपने कारोबार को बढ़ा रहे हैं। देश में पहली बार हाथ का हुनर जिनका सामर्थ्‍य है, जो राष्ट्र का निर्माण भी करते हैं, ऐसे मेरे विश्वकर्मा साथियों के बारे में सोचा गया। उनको आधुनिक टूल, आधुनिक ट्रेनिंग, पैसों की मदद, विश्‍व मार्किट उनके लिए खुल जाए, ये मेरे विश्वकर्मा भाइयों के लिए हमने किया है। देश में पहली बार PVTG यानि जनजातियों में भी अति पिछड़े जो हमारे जो भाई-बहन हैं, संख्या बहुत कम है, वोट के हिसाब से किसी को नजर नहीं जाती, हम वोट से परे हैं, हम दिलों से जुड़े हैं। और इसलिए PVTG जातियों के लिए पीएम जनमन योजना बनाकर के उनके कल्याण का मिशन मोड में काम उठाया है। इतना ही नहीं, सरहद के जो गांव थे, जिनको आखिरी गांव करके छोड़ दिया गया था, हमने वो आखिरी गांव को पहला गांव बनाकर के विकास की पूरी दिशा बदल दी।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

मैं जब बार-बार मिलेट्स की वकालत करता हूँ, मिलेट्स की दुनिया के अंदर जा करके चर्चा करता हूँ। जी-20 के देशों के लोगों के सामने गर्व के साथ मिलेट्स परोसता हूँ, उसके पीछे मेरे दिल में 3 करोड़ से ज्यादा मेरे छोटे किसान हैं जो मिलेट्स की खेती करते हैं, इनका कल्‍याण इससे हम जुड़े हुए हैं।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

जब मैं वोकल फॉर लोकल करता हूँ, जब मैं मेक इन इंडिया की बात करता हूँ, तब मैं करोड़ों गृह उद्योग, लघु उद्योग, कुटीर उद्योग उससे जुड़े हुए मेरे लाखों परिवारों के साथ उनके कल्याण के लिए सोचता हूँ।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

खादी, कांग्रेस पार्टी ने उसको भुला दिया, सरकारों ने भुला दिया। आज मैं खादी को ताकत देने में सफलतापूर्वक आगे बढ़ा हूँ क्योंकि खादी के साथ, हैंडलूम के साथ करोड़ों बुनकरों की जिंदगी लगी हुई है, मैं उनके कल्‍याण को देखता हूँ।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

हमारी सरकार हर कोने में गरीबी को निकालने के लिए, गरीब को समृद्ध बनाने के लिए अनेक विविध प्रयासों को कर रही है। जिनके लिए वोट बैंक ही था, उनके लिए उनका कल्याण संभव नहीं था। हमारे लिए उनका कल्‍याण राष्ट्र का कल्याण है और इसलिए हम उसी रास्ते पर चल पड़े हैं।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

कांग्रेस पार्टी ने, यूपीए सरकार ने ओबीसी समुदाय के साथ भी कोई न्याय नहीं किया है, अन्याय किया है। इन लोगों ने ओबीसी नेताओं का अपमान करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी है। कुछ दिन पहले जब कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न दिया, हमने वो सम्मान दिया। लेकिन याद करिये, उस कर्पूरी ठाकुर अति पिछड़े समाज से ओबीसी समाज के उस महापुरुष के साथ क्या व्यवहार हुआ था। किस प्रकार से उनके साथ जुल्म किया। 1970 में बिहार के मुख्यमंत्री बने हैं, तो उनको पद से हटाने के लिए कैसे-कैसे खेल खेले गए थे। उनकी सरकार अस्थिर करने के लिए क्या कुछ नहीं किया गया था।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

कांग्रेस को अति पिछड़ा वर्ग का व्यक्ति बर्दाश्त नहीं हुआ था। 1987 में, जब कांग्रेस के पास पूरे देश में उनका झंडा फेहरता था, सत्ता ही सत्ता ही थी। तब उन्होंने कर्पूरी ठाकुर को प्रतिपक्ष के नेता के रूप में स्वीकार करने से मना कर दिया और कारण क्‍या दिया वो संविधान का सम्मान नहीं कर सकते। जिस कर्पूरी ठाकुर ने पूरा जीवन लोकतंत्र के सिद्धांतों के लिए, संविधान की मर्यादाओं के लिए खपा दिया, उनको अपमान करने का काम कांग्रेस पार्टी ने किया था।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

कांग्रेस के हमारे साथियों को, आजकल इस पर बहुत चिंता जताते हैं कि सरकार में ओबीसी कितने लोग हैं, कितने पद पर कहां हैं, उसका हिसाब-किताब करते रहते हैं। लेकिन मैं हैरान हूँ, उनको इतना सबसे बड़ा ओबीसी नजर नहीं आता। कहां आंखें बंद करके बैठ जाते हैं।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

जरा मैं, वो ये दुनिया भर की चीजें करते हैं, मैं उनको कहना चाहता हूँ। ये यूपीए के समय एक extra constitutional body बनाई गई थी, जिसके सामने सरकार की कुछ नहीं चलती थी। National Advisory Council, जरा कोई निकाल करके देखे इसमें क्या कोई ओबीसी था क्या? जरा निकाल कर देखिए। इतनी बड़ी पावरफुल बॉडी बनाई थी और उधर appoint कर रहे थे।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

पिछले 10 वर्षों में नारी शक्ति के सशक्तिकरण को लेकर के अनेक कदम उठाए गए हैं। नारी के नेतृत्व में समाज के सशक्तिकरण पर काम किया गया है।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

अब देश की बेटी, हिन्‍दुस्‍तान में कोई ऐसा सेक्‍टर नहीं है, जहां देश की बेटियों के लिए दरवाजे बंद हों। आज हमारे देश की बेटियां फाइटर जेट भी उड़ा रही हैं और हमारे देश की सीमाओं को भी सुरक्षित रख रही हैं।

आदरणीय अध्यक्ष महोदय,

ग्रामीण व्यवस्था, अर्थव्यवस्था हमारी Women Self Help Group 10 करोड़ बहनें जुड़ी हैं और आर्थिक गतिविधि करती हैं। और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को वो नई ताकत दे रही हैं और मुझे आज खुशी है कि इन प्रयासों का परिणाम हैं कि आज करीब-करीब 1 करोड़ लखपति दीदी आज देश में बनी हैं। और मेरी जब उनसे बात होती हैं, उनका जो आत्‍मविश्‍वास देखता हूँ, मेरा पक्का विश्वास है हम जिस तरह आगे बढ़ रहे हैं, आने वाले हमारे कार्यकाल में 3 करोड़ लखपति दीदी हमारे देश के अंदर देखेंगे। आप कल्पना कर सकते हैं कि गांव की अर्थव्यवस्था में कितना बड़ा बदलाव हो जाएगा।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

हमारे देश में बेटियों के संबंध में जो पहले सोच थी, समाज के घर में घुस गई थी, दिमाग में भी घुस गई थी। आज वो सोच कितनी तेजी से बदल रही है। थोड़े से बारीकी से देखेंगे तो हमें पता चलेगा कितना बड़ा सुखद बदलाव आ रहा है। पहले अगर बेटी का जन्म होता था, तो चर्चा होती थी अरे खर्चा कैसे उठाएंगे। उसको कैसे पढ़ाऐंगे, उसके आगे की जिंदगी का, एक प्रकार से कोई बोझ है, ऐसी चर्चाएं हुआ करती थी। आज बेटी पैदा होती है तो पूछा जाता है अरे सुकन्या समृद्धि अकाउंट खुला है कि नहीं खुला। बदलाव आया है।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

पहले सवाल होता था, प्रेग्नेंट होने पर नौकरी नहीं कर पाओगी। पहले ये बात होती थी, प्रेग्नेंट होने पर नौकरी नहीं कर पाओगी। आज कहा जाता है 26 हफ्ते की पेड लीव और बाद में भी अगर छुट्टी चाहिए तो मिलेगी, ये बदलाव होता है। पहले समाज में सवाल होते थे कि महिला होकर नौकरी क्यों करना चाहती हो। क्या पति की सैलरी कम पड़ रही है, ऐसे ऐसे सवाल होते थे। आज लोग पूछ रहे हैं मैडम आपका जो स्टार्टअप है न बहुत प्रगति कर रहा है, क्या मुझे नौकरी मिलेगी। ये बदलाव आया है।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

एक समय था, जब सवाल पूछा जाता था, कि बेटी की उम्र बढ़ रही है, शादी कब करोगी। आज पूछा जाता है बेटी पर्सनल और प्रोफेशनल दोनों कामों को संतुलित कितना बढ़िया करती हो, कैसे करती हो?

आदरणीय अध्यक्ष जी,

एक समय था घर में कहा जाता था कि घर के मालिक घर पर है कि नहीं है, ऐसा पूछा जाता था। घर के मुखिया को बुलाइये, ऐसा कहते थे। आज किसी के घर जाते हैं तो घर महिला के नाम पर, बिजली का बिल उसके नाम पर आता है। पानी, गैस सब उसके नाम पर, उस परिवार के मुखिया की जगह आज मेरी माताएं-बहनों ने ले ली है। ये बदलाव आया है। ये बदलाव अमृतकाल में विकसित भारत का हमारा जो संकल्प है न, इसकी एक बहुत बड़ी शक्‍ति के रूप में ये उभरने वाला है और मैं उस शक्ति के दर्शन कर पा रहा हूँ।

आदरणीय अध्यक्ष महोदय,

किसानों के लिए आंसू बहाने की आदत मैंने बहुत देखी है। किसानों के साथ कैसा-कैसा विश्वासघात किया गया है, ये देश ने देखा है। कांग्रेस के समय कृषि के लिए कुल वार्षिक बजट होता था- 25 हजार करोड़ रुपये। आदरणीय अध्यक्ष जी, हमारी सरकार का बजट है सवा लाख करोड़ रुपये।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

कांग्रेस ने अपने 10 साल के कार्यकाल में 7 लाख करोड़ रुपये का धान और गेहूं किसानों से खरीदा था। हमने 10 वर्षों में करीब 18 लाख करोड़ का धान, गेहूं खरीदा है। कांग्रेस सरकार ने दलहन और तिलहन की खरीदी नाम मात्र कभी कही की हो तो की हो। हमने सवा लाख करोड़ रुपये से भी अधिक का दलहन और तिलहन खरीद लिया है। हमारे कांग्रेस के साथियों ने पीएम किसान सम्मान निधि का मजाक उड़ाया और जब मैंने मेरी पहली टर्म में ये योजना शुरू की थी तो मुझे याद है कि झूठा नेरेटिव की जो फैशन चल पड़ी है, गांव में जा के कहा जाता था कि देखिये ये मोदी के पैसे मत लेना। ये चुनाव एक बार जीत गया, तो सारे पैसे ब्याज समेत तुमसे वापस मांगेगा, ऐसा झूठ फैलाया गया था। किसानों को इतना मूर्ख बनाने की कोशिश की गई थी।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

पीएम किसान सम्मान निधि 2 लाख 80 हजार करोड़ रुपये हमने भेजे। पीएम फसल बीमा योजना 30 हजार रुपये का प्रीमियम और उसके सामने 1.5 लाख करोड़ रुपया मेरे किसान भाई-बहनों को दिया है। कांग्रेस के अपने शासन काल में कभी भी मछुआरे, पशुपालक की तो कभी नामोनिशान नहीं था उनके काम में। पहली बार इस देश में मछुआरों के लिए अलग मंत्रालय बना, पशुपालन के लिए अलग मंत्रालय बना। पहली बार पशुपालक को, मछुआरों को किसान क्रेडिट कार्ड दिया गया, ताकि कम ब्याज से उसको बैंक से पैसा मिल सके वो अपना कारोबार बढ़ा सके। किसानों और मछुआरों, ये चिंता सिर्फ जानवरों की ही नहीं होती है, जिंदगी का एक महत्‍वपूर्ण हिस्‍सा है। आर्थिक चक्र को चलाने में इन पशुओं की भी बहुत बड़ी भूमिका होती है। हमने फुट एंड माउथ disease, उससे हमारे पशुओं को बचाने के लिए 50 करोड़ से ज्यादा टीके लगाए हैं, पहले कभी सोचा नहीं था किसी ने।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

आज भारत में युवाओं के लिए जितने नए अवसर बने हैं, ये पहले कभी नहीं बने हैं। आज पूरी vocabulary बदल गई है, शब्द जो पहले कभी सुनने को नहीं मिलते थे, वो बोलचाल के साथ दुनिया में आ चुके हैं। आज चारों तरफ स्‍टार्टअप्‍स की गूंज है, यूनिकॉर्न्स चर्चा में है। आज Digital Creators एक बहुत बड़ा वर्ग हमारे सामने है। आज ग्रीन इकोनॉमी की चर्चा हो रही है। ये युवाओं की जुबान पर ये नए भारत की नई vocabulary है। ये नई आर्थिक साम्राज्य के नए परिवेश हैं, नई पहचान है। ये सेक्टर युवाओं के लिए रोजगार के लाखों नए अवसर बना रहे हैं। 2014 से पहले Digital Economy का साइज़ न के बराबर था, बहुत ज्यादा उसकी चर्चा भी नहीं थी। आज भारत दुनिया की Digital Economy में अग्रणी है। लाखो युवा इससे जुड़े हैं और आने वाले समय में ये Digital India Movement जो है, वो देश के नौजवानों के लिए अनेक-अनेक अवसर, अनेक-अनेक रोजगार, अनेक-अनेक प्रोफेशनल्‍स के लिए अवसर लेकर के आने वाला है।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

आज भारत मेड इन इंडिया फोन दुनिया में पहुंच रहे हैं। दुनिया में हम नंबर 2 बन गए हैं। और एक तरफ सस्ता मोबाइल प्राप्‍त हुआ है और दूसरी तरफ सस्ता डेटा, इन दोनों की वजह से एक बहुत बड़ा revolution आया है देश में और दुनिया में हम जिस कीमत पर आज हमारे नौजवानों को ये प्राप्त करवा रहे हैं, सबसे कम कीमत पर करवा रहे हैं और वो एक कारण बना है। आज मेड इन इंडिया अभियान, रिकॉर्ड मैन्‍युफैक्‍चरिंग, रिकॉर्ड एक्‍सपोर्ट ये आज देश देख रहा है।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

ये सारे काम हमारे नौजवानों के लिए सबसे ज्यादा रोजगार लाने वाले काम हैं, सबसे ज्यादा रोजगार के अवसर पैदा करने वाले हैं।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

10 वर्ष में टूरिज्म सेक्टर में अभूतपूर्व उछाल आया है। हमारे देश में ये ग्रोथ और टूरिज्म सेक्टर ऐसा है कि इसमें कम से कम पूंजी निवेश में अधिक से अधिक लोगों को रोजगार देने वाला अवसर है। और सामान्य से सामान्‍य व्‍यक्ति को भी ये रोजगार देने वाला अवसर है। स्‍वरोजगार की सबसे ज्यादा संभावनाओं वाला टूरिज्‍म क्षेत्र है। 10 वर्ष में एयरपोर्ट 2 गुने बने। भारत सिर्फ एयरपोर्ट बने ऐसा नहीं है, भारत दुनिया का तीसरा बड़ा डोमेस्टिक एविएशन सेक्टर बना है, दुनिया का तीसरा बड़ा। हम सबको खुशी होनी चाहिए, भारत की जो एयरलाइंस कंपनियां हैं, उन्होंने 1 हजार नए एयरक्राफ्ट के आर्डर दिए हैं, देश में 1 हजार नए एयरक्राफ्ट। और जब इतने सारे हवाई जहाज ऑपरेट होंगे, सारे एयरपोर्ट कितने चमकते होंगे। कितने पायलट्स की जरूरत पड़ेगी, कितने हमें क्रू मेंबर चाहिए, कितने इंजीनियर्स चाहिए, कितने ग्राउंड सर्विस के लोग चाहिए यानी रोजगार के नए-नए क्षेत्र खुलते जा रहे हैं। एविएशन सेक्टर भारत के लिए एक बहुत बड़ा नया अवसर बनकर के आया है।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

हमारी कोशिश रही है कि इकोनॉमी को हम thermolise करने की दिशा में मजबूती से कदम उठाएं। युवाओं को नौकरी भी मिले, सोशल सिक्‍योरिटी भी मिले। इन दोनों को लेकर के और अपनी जिन बातों के आधार पर हम निर्णय करते हैं और देश में भी माना जाता है वो एक होता है डेटा ईपीएफओ का। ईपीएफओ में जो रजिस्ट्रेशन होता है 10 साल में करीब 18 करोड़ नए सब्सक्राइबर आए हैं और वो तो सीधा पैसों से जुड़ा खेल होता है, उसमें फर्जी नाम नहीं होते हैं। मुद्रा लोन पाने वालों में 8 करोड़ लोग ऐसे हैं, जिन्होंने जीवन में पहली बार कारोबार अपना शुरू किया है, बिजनेस शुरू किया है। और जब मुद्रा लोन लेता है तो खुद तो रोजगार पाता है, एक या दो और लोगों को भी रोजगार देता है, क्योंकि उसका काम ऐसा होता है। हमने लाखों स्ट्रीट वेंडर्स को सपोर्ट किया है। 10 करोड़ महिलाएं ऐसे ही चीजों से जुड़ी, जैसा मैंने कहा है एक लाख लखपति दीदी, एक करोड़ ये अपने आप में बहुत है। …. और मैंने जैसा कहा हम 3 करोड़ लखपति दीदी हमारे देश के अंदर देखेंगे।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

कुछ आंकड़े हैं, जो अर्थशास्त्री समझते हैं ऐसा नहीं है, सामान्य मानवी भी समझता है। 2014 से पहले के 10 वर्षों में इंफ्रास्ट्रक्चर के निर्माण में करीब-करीब 12 लाख करोड़ का बजट था, 10 साल में 12 लाख करोड़। बीते 10 वर्षों में इंफ्रास्ट्रक्चर निर्माण के अंदर बजट 44 लाख करोड़, रोजगार कैसे बढ़ते हैं, इससे समझ आता है।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

इस राशि से जितनी भी मात्रा में काम हुआ है, उसके कारण इतने लोगों को रोजी-रोटी मिली है, इसका आप अंदाजा कर सकते हैं। हम भारत को मैन्‍युफैक्‍चरिंग का, रिसर्च का, इनोवेशन का हब बने, उस दिशा में देश की युवा शक्ति को प्रोत्साहित कर रहे हैं। व्‍यवस्‍थाएं विकसित कर रहे हैं। आर्थिक मदद की योजनाएं बना रहे हैं।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

एनर्जी के क्षेत्र में हम हमेशा डिपेंडेंट रहे हैं। एनर्जी के सेक्टर में हमें आत्मनिर्भर होने की दिशा में बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। और हमारी कोशिश है ग्रीन एनर्जी की तरफ, हाइड्रोजन को लेकर के हम बहुत बड़ी मात्रा में आगे बढ़ रहे हैं, उसमें अभूतपूर्व निवेश। उसी प्रकार से दूसरा क्षेत्र है, जिसमें भारत को लीड लेने होगी वो है सेमीकंडक्टर, पिछली सरकार ने जितने प्रयास किये, प्रयास किये, लेकिन सफलता नहीं मिली। अब हम जिस स्थिति में पहुंचे हैं, मैं विश्वास से कहता हूँ कि हमारे 3 दशक खराब भले हो गए लेकिन आने वाला समय हमारा है, हम सेमीकंडक्टर के क्षेत्र में अभूतपूर्व निवेश मैं देख रहा हूँ और भारत दुनिया को एक बहुत बड़ा contribution करेगा। इन सारे कारणों से आदरणीय अध्यक्ष जी Quality Job संभावनाएं बहुत बढ़ने वाली हैं और जिसके कारण समाज में जैसे-जैसे हमने एक अलग Skill Ministry बनाई है उसके पीछे ही तो ये है कि देश के नौजवानों को हुनर मिले और ऐसे अवसर मिलें और हम Industry 4.O उसके लिए मैन पावर को तैयार करते हुए आगे बढ़ने की दिशा में काम कर रहे हैं।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

यहां महंगाई को लेकर के काफी कुछ बातें की गई हैं। मैं जरूर चाहूंगा कि देश के सामने कुछ सच्चाई आनी चाहिए। इतिहास गवाह है, जब भी कांग्रेस आती है, महंगाई लाती है। मैं कुछ वक्तव्य इस सदन में आज कहना चाहता हूं और किसी की आलोचना करने के लिए नहीं कह रहा हूं, लेकिन हो सकता है हमारी बात जो समझ नहीं पाते हैं, वो अपने लोगों की बात को समझने का प्रयास करेंगे। कहा गया था कभी और किसने कहा था वो मैं बाद में कहूंगा। ‘हर चीज की कीमत बढ़ जाने की वजह से मुसीबत फैली है, आम जनता उनमें फंसी है’। ये statement of fact किसका है ये कहा था, हमारे पंडित नेहरू जी ने लाल किले से कहा था उस समय। ‘हर चीज की कीमत बढ़ जाने की वजह से मुसीबत फैली है आम जनता उनमें फंसी है’, ये उस समय की बात है। उन्होंने माना था लाल किले से, चारों तरफ महंगाई बढ़ी है। अब इस वक्तव्य के 10 साल के बाद, नेहरू जी के इस वक्तव्य के 10 साल के बाद एक और वक्तव्य का quote आपके सामने रखता हूं। आप लोग, मैं quote बता रहा हूं, आप लोग आजकल भी कुछ दिक्कतों में हैं, परेशानियों में हैं, महंगाई की वजह से, कुछ तो लाचारी है, पूरी तौर से काबू की बात नहीं हो पा रही है, हमारे इस समय में हालांकि वो काबू में आएगी। 10 साल के बाद भी महंगाई के यही गीत कहे गए थे और ये किसने कहा थे फिर से ये नेहरू जी ने कहा था उन्हीं के कार्यकाल में। तब देश का पीएम रहते उन्होंने, 12 साल हो चुके थे, लेकिन हर बार महंगाई कंट्रोल में नहीं आ रही है, महंगाई के कारण आपको मुसीबत हो रही है, इसी के गीत गाते रहे थे।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

अब मैं एक और भाषण का हिस्सा पढ़ रहा हूं। जब देश आगे बढ़ता है तो कुछ हद तक कीमतें भी बढ़ती है, हमको ये भी देखना है कि जो भी आवश्यक वस्तु है उनकी कीमत को कैसे थामे। ये किसने कहा था इंदिरा गांधी जी ने कहा था। 1974 में जब सारे देश में उन्होंने सारे दरवाजें पर ताले लगा दिए थे, लोगों को जेल में बंद कर दिया था। 30 पर्सेंट महंगाई थी, 30 पर्सेंट।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

अपने भाषण में यहां तक कहा गया था, क्या कहा था- आप चौक जाएंगे। उन्होंने कहा था अगर जमीन न हो यानि कुछ पैदावार के लिए जमीन न हो तो अपने गमले और कनस्तर में सब्जी उगा लें। ये ऐसी सलाहें उच्च पद पर बैठे हुए लोग दिया करते थे। जब देश में महंगाई को लेकर के 2 गाने सुपरहिट हुए थे, हमारे देश में। घर-घर गाए जाते थे। एक महंगाई मार गई और दूसरा महंगाई डायन खाय जात है। और ये दोनों गाने कांग्रेस के शासनकाल में आए।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

यूपीए के शासनकाल में महंगाई डबल डिजिट में थी, डबल डिजिट में महंगाई थी, इसको नकार नहीं सकते हैं। और यूपीए सरकार का तर्क क्या था- असंवेदनशीलता। ये कहा गया था कि महंगी आइसक्रीम खा सकते हो तो महंगाई का रोना क्यों रो रहे हो, ये कहा गया था। जब भी कांग्रेस आई है, उसने महंगाई को ही मजबूत किया है।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

हमारी सरकार ने महंगाई को लगातार नियंत्रण में रखा है। दो-दो युद्ध के बावजूद और 100 साल में आए सबसे बड़े संकट के बावजूद महंगाई नियंत्रण में है, और हम कर पाए हैं।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

यहां पर बहुत गुस्सा व्यक्त किया गया, जितना हो सका उतने उठोर शब्द में गुस्सा व्यक्त किया गया। उनका दर्द मैं समझता हूं। उनकी मुसीबत और ये गुस्सा मैं समझता हूं क्योंकि तीर निशाने पर लगा है। भ्रष्टाचार पर एजेंसियां एक्शन ले रही हैं। उसको लेकर भी इतना गुस्सा, किन-किन शब्दों का प्रयोग किया जा रहा है।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

10 साल पहले हमारे सदन में पार्लियामेंट में क्या चर्चा होती थी। सदन का पूरा समय घोटालों की चर्चा पर जाता था। भ्रष्टाचार की चर्चा पर जाता था। लगातार एक्शन की डिमांड होती थी। सदन ये ही मांग करता रहता था, एक्शन लो, एक्शन लो, एक्शन लो। वो कालखंड देश ने देखा है। चारों तरफ भ्रष्टाचार की खबरें, रोजमर्रा थी। और आज जब भ्रष्ट्राचारियों पर एक्शन लिया जा रहा है, तो लोग उनके समर्थन में हंगामा करते हैं।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

इनके समय में एजेंसियों का सिर्फ और सिर्फ राजनीतिक उपयोग के लिए उपयोग किया जाता था। बाकी उनको कोई काम करने नहीं दिया जाता था। अब आप देखिए उनके कालखंड में क्या हुआ- PMLA Act तहत हमने पहले के मुकाबले दो गुने से अधिक केस दर्ज किए हैं। कांग्रेस के समय में ईडी ने 5 हजार करोड़ रूपये की संपत्ति जब्त की थी। हमारे कार्यकाल में ईडी ने 1 लाख करोड़ रूपये की संपत्ति, ये देश का लूटा हुआ माल देना ही पड़ेगा। और जिनका इतना सारा माल पकड़ा जाता हो, नोटों के ढ़ेर पकड़े जाते हो। और अधीर बाबू तो बंगाल से आते हैं, देखें हैं नोटों के ढ़ेर उन्होंने तो। किस-किस के घर में से पकड़े जाते हैं, किस-किस राज्यों में पकड़े जाते थे। देश ये नोटों के ढ़ेर देख-देखकर के चौक गया है। लेकिन अब जनता को आप मूर्ख नहीं बना सकते, जनता देख रही है कि किस प्रकार से यूपीए सरकार में जो भ्रष्ट्राचार की बातें होती थी, उसका टोटल 10-15 लाख करोड़ का रहा है, चर्चा होती थी।

हमने लाखों-करोड़ के घोटाले तो अटकाए, लेकिन उन सारे पैसों को गरीबों के काम लगा दिया, गरीबों के कल्याण के लिए। अब बिचौलियों के लिए गरीबों को लूटना बहुत मुश्किल हो गया है। Direct Benefit Transfer, जनधन अकाउंट, आधार, मोबाइल उसकी ताकत हमने पहचानी है। 30 लाख करोड़ रूपये से ज्यादा रकम हमने लोगों के खाते में सीधी पहुंचाई है। और अगर कांग्रेस के एक प्रधानमंत्री ने कहा था कि अगर एक रुपया भेजते हैं, 15 पैसे पहुंचते हैं, अगर उस हिसाब से मैं देखूं तो हमने जो 30 लाख भेजे हैं, अगर उनका जमाना होता तो कितना रुपया कहां चला जाता इसका हिसाब लगाइए। 15 पर्सेंट मुश्किल से लोगों के पास पहुंचता, बाकी सब कहां चला जाता।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

हमने 10 करोड़ फर्जी नाम हटाए हैं, अभी लोग पूछते हैं ना कि पहले इतना आंकड़ा था क्यों कम हुआ, आपने ऐसी व्यवस्था बनाई थी, जिस बेटी का जन्म नहीं हुआ, उसको आपके यहां से विधवा पेंशन जाती थी। और ऐसे सरकारी योजनाओं को मारने के जो रास्ते थे ना 10 करोड़ फर्जी नाम बंद किए, ये जो परेशानी है ना, इन चीजों की है। क्योंकि रोजमर्रा की आय इनकी बंद हो गई है।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

हमने ये फर्जी नामों को हटाने से करीब-करीब 3 लाख करोड़ रूपया फर्जी हाथों में जाने से बचाया है, गलत हाथों में जाने से बचाया है। देश के taxpayer का पाई-पाई बचाना और सही काम में लगाना इसके लिए हमने जीवन खपा रखे हैं।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

सभी राजनीतिक दलों को भी सोचने की जरूरत है, और समाज में भी जो लोग बैठे हैं, उनको देखने की जरूरत है। आज देश का दुर्भाग्य है, पहले तो क्लासरूम में भी कोई अगर चोरी करता था, किसी की कॉपी करता था, तो वो भी 10 दिन तक अपना मुंह किसी को दिखाता नहीं था। आज जो भ्रष्टाचार के आरोप, जिन पर सिद्ध हो चुके हैं, जो जेलों में समय निकालकर के पेरोल पर आए हैं, आज washing machine से भी बड़ा कंधे पर लेकर के महिमामंडन कर रहे हैं ऐसे चोरों का सार्वजनिक जीवन में। कहा ले जाना चाहते हो देश को तुम, जो सजा हो चुकी है, मैं ये तो समझता हूं कि आरोप जो हैं उनके लिए तो आप सोच सकते हैं लेकिन जो गुनाह सिद्ध हो चुका है, जो सजा काट चुके हैं, जो सजा काट रहे हैं, ऐसे लोगों का महिमामंडन करते हो आप। कौन सा कल्चर और देश की भावी पीढ़ी को क्या प्रेरणा देना चाहते हो आप, कौन से रास्ते और ऐसी कौन-सी आपकी मजबूरी है। और ऐसे लोगों का महिमामंडन किया जा रहा है, उनको महान बताया जा रहा है। जहां संविधान का राज है, जहां लोकतंत्र है, माननीय अध्यक्ष जी ऐसी बातें लंबी नहीं चल सकती हैं, ये लोग लिखकर के रखें। ये जो महिमामंडन का काम चल रहा है उनका वो अपने, अपने ही खात्मे की चिठ्ठी पर सिग्नेचर कर रहे हैं ये लोग।

आदरणीय अध्यक्ष जी,

जांच करना ये एजेंसियों का काम है। एजेंसियां स्वतंत्र होती हैं और संविधान ने उनको स्वतंत्र रखा हुआ है। और जज करने का काम न्यायाधीश का है और वो अपना काम कर रहे हैं। और अध्यक्ष जी, मैं इस पवित्र सदन में फिर से दोहराना चाहूंगा, जिसको जितना जुल्म मुझ पर करना है कर लें, मेरी भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई चलती रहेगी। जिसने देश को लूटा है उनको लौटाना पड़ेगा, जिन्होंने देश को लूटा है, उनको लौटाना पड़ेगा। ये मैं देश को इस सदन की पवित्र जगह से वादा करता हूं। जिसको जो आरोप लगाना है, लगा लें, लेकिन देश को लुटने नहीं दिया जाएगा और जो लूटा है वो लौटाना पड़ेगा।

आदरणीय अध्‍यक्ष जी,

देश सुरक्षा और शांति का एहसास कर रहा है। पिछले दस वर्ष की तुलना में सुरक्षा के क्षेत्र में देश आज वाकई सशक्‍त हुआ है। आतंकवाद, नक्‍सलवाद एक छोटे दायरे में अब सिमटा हुआ है। लेकिन भारत की जो टेररिज्‍म के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति है, आज पूरे विश्‍व को भी भारत की इस नीति की तरफ चलने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। भारत की सेनाएं सीमाओं से ले करके समंदर तक अपने सामर्थ्‍य को ले करके आज उनकी धाक है। हमें हमारी सेना के पराक्रम पर गर्व होना चाहिए। हम कितना ही उनका मनोबल तोड़ने की कोशिश करें, मुझे मेरी सेना पर भरोसा है, मैंने उनके सामर्थ्‍य को देखा है। कुछ राजनेता सेना के लिए हल्‍के-फुल्‍के शब्‍द बोल दें, इससे मेरे देश की सेना demoralised होगी, इन सपनों में कोई रहते हैं तो निकल जाएं। देश के मूड को वो खत्‍म नहीं कर सकते और किसी के एजेंट बन करके इस प्रकार की भाषा अगर कहीं से भी उठती है, देश कभी स्‍वीकार नहीं कर सकता है। और जो खुलेआम देश में अलग देश बनाने की वकालत करते हैं, जोड़ने की बातें छोड़ो, तोड़ने की कोशिश की जा रही है, आपके अंदर क्‍या पड़ा हुआ है, क्‍या इतने टुकड़ करके अभी भी आपके मन को संतोष नहीं हुआ है? देश के इतने टुकड़े कर चुके हो आप, और टुकड़े करना चाहते हों, कब तक करते रहोगे?

आदरणीय अध्‍यक्ष जी,

इसी सदन में अगर कश्‍मीर की बात होती थी, तो हमेशा चिंता का स्‍वर निकलता था, छींटाकशी होती थी, आरोप-प्रत्‍यारोप होते थे। आज जम्मू-कश्मीर में अभूतपूर्व विकास की चर्चा हो रही है और गर्व के साथ हो रही है। पर्यटन लगातार बढ़ रहा है। जी 20 समिट होती है वहां, पूरा विश्‍व आज उसकी सराहना करता है। आर्टिकल 370 को ले करके कैसा हौआ बनाकर रखा था। कश्‍मीर के लोगों ने जिस प्रकार से उसको गले लगाया है, कश्‍मीरी जनता ने जिस प्रकार से गले लगाया है, और आखिरकार ये समस्‍या किसकी देन थी, किसने देश के माथे पर मारा था, किसने भारत के संविधान के अंदर इस प्रकार की दरार करके रखी हुई थी?

आदरणीय अध्‍यक्ष जी,

अगर नेहरू जी का नाम लेते हैं तो उनको बुरा लगता है, लेकिन कश्मीर को जो समस्‍याएं झेलनी पड़ीं, उसके मूल में उनकी ये सोच थी और उसी का परिणाम इस देश को भुगतना पड़ा है। जम्मू-कश्मीर के लोगों को, देश के लोगों को नेहरू जी की ग‍लतियों की बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है।

आदरणीय अध्‍यक्ष जी,

वो भले गलतियां करके गए, लेकिन हम मुसीबतें झेल करके भी गलतियां सुधारने के लिए हमारी कोशिश जारी रहेगी, हम रुकने वाले नहीं हैं। हम देश के लिए काम करने के लिए निकले हुए लोग हैं। हमारे लिए नेशन फर्स्‍ट है।

आदरणीय अध्‍यक्ष जी,

मैं सभी राजनीतिक दलों के नेताओं से आग्रह करूंगा, सभी माननीय सदस्‍यों से आग्रह करूंगा, भारत के जीवन में बहुत बड़ा अवसर आया है। वैश्विक परिवेश में भारत के लिए बड़ा अवसर आया है, एक नए आत्‍मविश्‍वास के साथ आगे बढ़ने का अवसर आया है। राजनीति अपनी जगह पर होती है, आरोप-प्रत्‍यारोप अपनी जगह पर होता है, लेकिन देश से बढ़कर कुछ नहीं होता है। और इसलिए आइए, मैं निमंत्रण देता हूं आपको, कंधे से कंधा मिला करके हम देश के निर्माण के लिए आगे बढ़ें। राजनीति में किसी भी जगह पर रहते हुए भी राष्‍ट्र निर्माण में आगे बढ़ने में कोई रुकावट नहीं आती है। आप इस राह को मत छोड़िए। मैं आपका साथ मांग रहा हूं, मां भारती के कल्‍याण के लिए साथ मांग रहा हूं। मैं विश्‍व के अंदर जो अवसर आया है, उस अवसर को भुनाने के लिए आपका साथ मांग रहा हूं। मैं आपका सहयोग चाहता हूं, 140 करोड़ देशवासियों की जिंदगी को और समृद्ध बनाने के लिए, और सुखी बनाने के लिए। लेकिन अगर आप साथ नहीं दे सकते हैं और अगर आपका हाथ ईंटें फेंकने पर ही तुला हुआ है, तो आप लिख करके रखिए, आपकी हर ईंट को मैं विकसित भारत की नींव मजबूत करने के लिए उठाऊंगा। आपके हर पत्थर को मैं विकसित भारत के जो सपनों को हम ले करके चले हैं, उसकी नींव मजबूत करने के लिए मैं लगा दूंगा और देश को उस समृद्धि की ओर हम लेकर जाएंगे। जितने पत्थर उछालने हैं, उछाल लीजिए, आपका हर पत्थर भारत के, समृद्ध भारत के, विकसित भारत के सपने को विकसित बनाने के लिए हर पत्थर को मैं काम में लूंगा, ये भी मैं आपको विश्‍वास दिलाता हूं।

आदरणीय अध्‍यक्ष जी,

मैं जानता हूं, साथियों की तकलीफें मैं जानता हूं। लेकिन वो जो कुछ भी बोलते हैं, मैं दुखी नहीं होता हूं और दुखी होना भी नहीं चाहिए। क्‍योंकि मैं जानता हूं ये नामदार हैं, हम कामदार हैं। और हम कामदारों को तो नामदारों से सुनना ही पड़ता है ये। तो नामदार कुछ भी कहते रहें, कुछ भी कहने का उनको तो जन्मजात अधिकार मिले हुए हैं और हम कामदारों को सुनना होता है, हम सुनते भी रहेंगे और देश को सहजते भी रहेंगे, देश को आगे बढ़ाते रहेंगे।

आदरणीय अध्‍यक्ष जी,

आपने मुझे इस पवित्र सदन में आदरणीय राष्ट्रपति जी के उद्बोधन को समर्थन करने के लिए बोलने का अवसर दिया। मैं आदरणीय राष्ट्रपति जी के इस उद्बोधन को समर्थन देते हुए, धन्‍यवाद प्रस्‍ताव पर आभार प्रकट करते हुए मेरी वाणी को विराम देता हूं।

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